इसका नहीं कोई अंतिम छोर अपनी रूह को मेरी रूह से तू जोड़। इसका नहीं कोई अंतिम छोर अपनी रूह को मेरी रूह से तू जोड़।
किसी भी पुरुष के जीवन का किसी भी पुरुष के जीवन का
वो बूंद ख्वाबों की... रातों में मेरे सपनों को महकाती वो बूंद ख्वाबों की... रातों में मेरे सपनों को महकाती
मैं भूत, वर्तमान भविष्य हूं मैं, कल, आज अभी हूं मैं स्त्री हूं...। मैं भूत, वर्तमान भविष्य हूं मैं, कल, आज अभी हूं मैं स्त्री हूं...।
पुरुष के वजुद को बनाये रखा फिर सरनेम पुरुष का कैसे ? पुरुष के वजुद को बनाये रखा फिर सरनेम पुरुष का कैसे ?